सिरसा(प्रैसवार्ता) सांस्कृतिक गतिविधियों तथा खेलों को बढ़ावा देने के लिये सरकारी भूमि पर स्थानीय सिरसा कल्ब पिछले कुछ समय से अमीरजादों का मौज मस्ती केन्द्र बना हुआ है इस कल्ब में न सिर्फ सरेआम जुएबाजी होती है- बल्कि अवैघ रुप से शराब के जाम भी चलते हैं शराब द्वारा शराब पीने के लिये प्रदेश भर में परमिट कक्ष बनाये हुए हैं, परन्तु सिरसा कल्ब में बिना सरकारी स्वीकृति के शराब परौसी जाती है- जो कि कानून की खुली अवहेलना है
प्रैसवार्ता को मिली जानकारी अनुसार लगभग दो एकड़ भूमि में बने सिरस कल्ब के लिये हरियाणा सरकार ने नाम मात्र मूल्य लेकर यह भूमि दी थी, जो करोड़ों रुपयों की बतायी जाती है सिरसा कल्ब के संविधान अनुसार यह कल्ब शहर में सांस्कृतिक गतिविधयों को बढ़ावा देने के लिये बनाया गया १९८२ में प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा ने जिम्नेजियम हाल बनाने के लिये ३ लाख रुपये का सरकारी अनुदान दिलवाते हुए यह शर्त रखी थी कि इस राशी से बच्चों के लिये खेल सुविधाए उपलब्ध करवाई जायेगी- जिस पर कुछ समय तक तो असर दिखाई दिया, परंतु बाद में बच्चों के खेलने पर सिरसा कल्ब द्वारा कोई ऐसी शर्तें लगा दी गई- जिससे विवश होकर बच्चों का खेलना बन्द करना पड़ा सिरसा कल्ब में अनेक प्रभावशाली अमीरजादों का सदस्य होना तथा उपायुक्त के पास अध्यक्ष पद होने के कारण यहां न सिर्फ जुएबाजी व शराब के दौर खुलेआम चलते हैं- बल्कि सिरसा कल्ब की भूमि पर संविधान के विरुद्ध जाकर दुकाने बनाकर किराये पर दी गई हैं प्रदेश में बंसी लाल के शासन में २१ मास तक शराब बंदी रही और इस अवधि दौरान सिरसा कल्ब पियक्कड़ों के लिये सुरक्षित स्थान रहा इस सिरसा कल्ब के कितने सदस्य हैं, सदस्यता शुल्क का पैमाना क्या है, कल्ब का संविधान क्या है, सिरसा कल्ब के पदाधिकारियों को सार्वजनिक करना चाहिए तथा सिरसा कल्ब को सांस्कृतिक गतिविधयों व खेलों के बढ़ावा तक ही सीमित रहना चाहिए "प्रैसवार्ता" को कल्ब के ही एक सदस्य ने बताया कि दीपावली त्यौहार नजदीक होने के कारण आजकल लाखों रुपयों की जुए बाजी प्रतिदिन हो रही है राज्य सरकार को चाहिए कि कल्ब की कार्यकारिणी भंग करके अपने नियंत्रण में ले, अन्यथा माननीय न्यायालय का द्वार खटखटाने पर सांस्कृतिक व खेल प्रेमी विवश होंगे
Monday, January 26, 2009
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