Monday, January 26, 2009

हम भी शाहजाह से कम नहीं

हम भी शाहजाह से कम नहीं
मुरादाबाद(प्रैसवार्ता) उतरप्रदेश के आगरा शहर में युमना नदी पर बसे ताजमहल को कौन नहीं जानता, परंतु बहुत कम लोग यह मानते हैं कि एक ताजमहल ऐसा भी है- जिसे तख्त व ताज सम्राट शाहजाह ने नहीं, बल्कि दिल के शाहजाहां छिन्दाखान ने बनाया है मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे में एक कृषक के इकलौते वारिस छिन्दाखान पर आगरा के ताजमहल को देखकर ऐसा जनून सवार हुआ कि उसने अनेक कठिनाईयों से जुझ कर अपनी प्रथम बेगम की स्मृति में अपने घर को ही ताजमहल का रुप दे दिया लगभग ३०० वर्षों से सीना तान कर प्यार का ढोल सुनाने वाले आगरा के ताजमहल के विपरीत छिन्दाखान का ताज सिर्फ ३६ वर्ष पुराना है- पर इसकी बुनियाद भी प्यार पर टिकी हुई है- जो कि शाहजाह मुमताज के प्यार से कम नहीं है मात्र ३० वर्ष की आयु में बेगम फातिमा के निधन उपरान्त छिन्दाखान को दुनिया बेकार लगने लगी और स्थिति पागलों जैसी हो गयी छिन्दाखान की यह स्थिति को देखकर परिवारजनों ने बच्चों की दुहाई देकर छिन्दाखान का दुसरा विवाह कर दिया प्रैसवार्ता को मिली जानकारी अनुसार दुसरे विवाह उपरान्त छिन्दाखान को आगरा तक जाने का अवसर मिला और वहा ताजमहल देखने पर उसके मन में एक तुफान सा उठा इस तुफान ने छिन्दाखान को यह निर्णय लेने पर मजबुर कर दिया कि वह अपनी पहली पत्नी की याद में ताजमहल बनायेगा
छिन्दाखान मुरादाबाद के दक्षिण की ओर करीब २० कि०मी० की दूरी कस्बे कुंदरकी में आकर बस गया, जहां उसके एक मकान व कुछ दुकाने बनाकर अपना करोबार चला लिया छिन्दाखान १९७१ में बदायु जिला के कुछ कुशल करीगरों से बातचीत करके उन्हे आगरा ले गया- जहां इन कारीगरों ने ताजमहल को गौर से देखा और जानकारी प्राप्त की आगरा से वापिस आकर इन कारीगरों ने छिन्दाखान के घर की तीसरी मन्जिल पर दो महीने के परिश्रम उपरांत बढ़िया निर्माण साम्रगी का प्रयोग करके ताजमहल की रैपलिका तैयार कर दी आने जाने वाले लोग इस ताजमहल को निहारते हुए गुजरते हैं और लोगों में यह ताजमहल एक विशेष पहचान बना रहा है

सिरसा कल्बः अमीरजादों की मौज मस्ती का केन्द्र

सिरसा(प्रैसवार्ता) सांस्कृतिक गतिविधियों तथा खेलों को बढ़ावा देने के लिये सरकारी भूमि पर स्थानीय सिरसा कल्ब पिछले कुछ समय से अमीरजादों का मौज मस्ती केन्द्र बना हुआ है इस कल्ब में न सिर्फ सरेआम जुएबाजी होती है- बल्कि अवैघ रुप से शराब के जाम भी चलते हैं शराब द्वारा शराब पीने के लिये प्रदेश भर में परमिट कक्ष बनाये हुए हैं, परन्तु सिरसा कल्ब में बिना सरकारी स्वीकृति के शराब परौसी जाती है- जो कि कानून की खुली अवहेलना है
प्रैसवार्ता को मिली जानकारी अनुसार लगभग दो एकड़ भूमि में बने सिरस कल्ब के लिये हरियाणा सरकार ने नाम मात्र मूल्य लेकर यह भूमि दी थी, जो करोड़ों रुपयों की बतायी जाती है सिरसा कल्ब के संविधान अनुसार यह कल्ब शहर में सांस्कृतिक गतिविधयों को बढ़ावा देने के लिये बनाया गया १९८२ में प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा ने जिम्नेजियम हाल बनाने के लिये ३ लाख रुपये का सरकारी अनुदान दिलवाते हुए यह शर्त रखी थी कि इस राशी से बच्चों के लिये खेल सुविधाए उपलब्ध करवाई जायेगी- जिस पर कुछ समय तक तो असर दिखाई दिया, परंतु बाद में बच्चों के खेलने पर सिरसा कल्ब द्वारा कोई ऐसी शर्तें लगा दी गई- जिससे विवश होकर बच्चों का खेलना बन्द करना पड़ा सिरसा कल्ब में अनेक प्रभावशाली अमीरजादों का सदस्य होना तथा उपायुक्त के पास अध्यक्ष पद होने के कारण यहां न सिर्फ जुएबाजी व शराब के दौर खुलेआम चलते हैं- बल्कि सिरसा कल्ब की भूमि पर संविधान के विरुद्ध जाकर दुकाने बनाकर किराये पर दी गई हैं प्रदेश में बंसी लाल के शासन में २१ मास तक शराब बंदी रही और इस अवधि दौरान सिरसा कल्ब पियक्कड़ों के लिये सुरक्षित स्थान रहा इस सिरसा कल्ब के कितने सदस्य हैं, सदस्यता शुल्क का पैमाना क्या है, कल्ब का संविधान क्या है, सिरसा कल्ब के पदाधिकारियों को सार्वजनिक करना चाहिए तथा सिरसा कल्ब को सांस्कृतिक गतिविधयों व खेलों के बढ़ावा तक ही सीमित रहना चाहिए "प्रैसवार्ता" को कल्ब के ही एक सदस्य ने बताया कि दीपावली त्यौहार नजदीक होने के कारण आजकल लाखों रुपयों की जुए बाजी प्रतिदिन हो रही है राज्य सरकार को चाहिए कि कल्ब की कार्यकारिणी भंग करके अपने नियंत्रण में ले, अन्यथा माननीय न्यायालय का द्वार खटखटाने पर सांस्कृतिक व खेल प्रेमी विवश होंगे

बिन पानी चल रही है जिंदगानी

सिरसा(प्रैसवार्ता):- "जल ही जीवन है", इस कटु सत्य को ग्राम नाथूसरी कलां की ५५ वर्षीय महिला नारायण देवी ने पूरी तरह झूठा साबित कर दिया है नारायण देवी ने पिछले ४ वर्ष से पानी की एक एक बूंद तक नही पी है और इसके बावजूद वह पूरी तरह से स्वस्थ है- जो चिकित्सकों के लिए आश्चर्य बना हुआ हैं आंगन वाडी केन्द्र में कार्यरत नारायण देवी के गले में चार साल पहले आचानक दर्द हुआ- जिसका चिकित्सक उपचार न कर सके नारायण देवी , जब वह पानी पीती , तो उल्टी के साथ साथ उसकी तबीयत बिग़ड जाती इस समस्या से बचने के लिए उसने पानी पीना छोड़ दिया और बहुत कम खाना, तीन-चार कप चाय प्रतिदिन पीकर स्वस्थ होते हुए वह अपने घर का सारा कामकाज करती हैं इस संबंध में सिरसा के सिविल सर्जन डा.पी.आर कायस्थ ने प्रैसवार्ता को बताया कि यह बात तो हैरानी वाली है और इसकी जांच चिकित्सकों के एक विशेष दल से करवाकर सच्चाई का पता लगाय जायेगा

सिरसा में धडल्ले से बन रहे है बेसमैंट

सिरसा(न्यूजप्लस) शहर में नगरपरिषद के भ्रष्टतंत्र की मिलीभगत से भवन निर्माण, बेसमैंट इत्यादि का काम विभागिय नियमों को ठेंगा दिखाकर धडल्ले से किया जा रहा हैं परिषद के नियमानुसार भवन निर्माण हेतु भूतल बनाने के लिये परिषद की विधिवत अनुमति लेने के साथ नक्शा स्वीकृत करवाना होता है जिसकी बकायदा निर्धारित फीस परिषद कोष में जमा होती है, तब जाकर निर्माण कार्य शुरु किया जा सकता है ज्यादातर भू-तल के साथ भवन व शोरुम बनाने वालो ने भी परिषद नियमों को ठेंगा दिखाया है तथा दिखा रहें है परिषद सूत्रों के अनुसार भू-तल बनने के लिये कुल क्षेत्र का ५०% तक प्रयोग में लाया जा सकता है, परन्तु सिरसा शहर में सरकार व परिषद नियमों के अतिरिक्त भवन बनाने वालों के बीच सबकुछ उल्टा-पुल्टा हैं यही कारण हैं कि शहर में धडल्ले से बन रहे बेसमैंट की संख्या निंरतर बढ़ रही है

हरियाणा की राजनीति में पत्रकारों का योगदान

सिरसा(प्रैसवार्ता) यह एक सत्य है कि हरियाण की राजनीति में पत्रकारों की भी सक्रिय भूमिका रही है राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर किये एक अध्ययन पर प्रैसवार्ता के ब्यूरो चीफ मनमोहित ग्रोवर की एक विशेष रिपोर्ट
वर्ष १९२० में इस देश में पहली बार चुनाव हुए दीनबंधु सर छोटुराम झज्जर में चुनाव हार गये और इसके बाद उन्होनें जाट गजट साप्ताहिक अखबार रोहतक से निकाला वैसे सर छोटूराम एक मूलःत पत्रकार थे, परन्तु राजनेताओं ने उनके नाम व काम पर रोटियां सेंकी, उन पर शोध व अनुसंधान की जरुरत थी सता जीवन शुरु किया तब तत्कालीन उतरप्रदेश के राजा रामपाल, जो देश के पूर्व विदेश मंत्री स्व0 दिनेश सिंह के दादा थे, के यहां नौकरी के दौरान सर छोटूराम पहले अंग्रेजी हिन्दुस्तान तथा बाद में हिन्दी हिन्दुस्तान के संपादक बने यहां से नौकरी छोड़ने के उपरान्त सर छोटूराम जब १९०९ से १९११ तक आगरा में वकालत की पढ़ाई कर रहे थे तो दैनिक सैनिक के संपादकीय विभाग में काम करने लग गये थे बाद में दीनबंधु ने दी टाइम्स ऑफ इंडिया, दिल्ली, दी हिन्दुस्तान टाइम्स ,दिल्ली, पायनियर लखनऊ, दी स्टेटमैन कलकता, दी फ्री प्रैस जर्नल मुम्बई में नियमित रुप से कालम लिखे
कांग्रेस नेता पं0 नेकी राम शर्मा भी मूलरुप से पत्रकार थे वह दो सप्ताहिक अखबारों के सम्पादक रहे सर छोटू राम के कटू आलोचक कांग्रेसी नेता नेकी राम झज्जर निवासी ने तो अपना राजनीतिक जीवन हरियाणा तिलक अखबार से किया कालान्तर में हरियाणा तिलक हरियाणा में स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बन गयी इसी दौरान युनियनानिस्ट पार्टी के विधायक सर छोटू राम के करीब साथ खान, जो पूर्व मंत्री तैयब हुसैन के पिता थे, ने गुडगांव से कुछ समय तक उर्दू में अखबार निकाला बाद में लौहारु में वकालत के दौरान वे तत्कालीन शहरी हिन्दुओं के मुखपत्र उर्दू दैनिक प्रताप व मिलाप में सर छोटू राम के आलोचकों को अपने लेखों से करारा जवाब देते थे तथा दीनबंधु के दर्शन का खुलासा करने वाले लेख लिखते थे आजादी उपरान्त हुए चुनावों में १९५२ व १९५७ में महान पत्रकार, देश भक्त व देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दूल कलाम आजाद, गुडगांव से सांसद बने, जबकि इसी दौरान पंडित नेकी राम ने विजय श्री हासिल करके मंत्री का पद प्राप्त किया १९६२ में पंडित शर्मा तो विधानसभा चुनाव हारे इन चुनावों में उर्दू प्रताप व हिन्दी वीरप्रताप जालंधर के सम्पादक वीरेन्द्र आर्य, सन्यासी स्वामी रामेश्वरनंद से करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव हारे वीरेन्द्र कांग्रेसी और स्वामी रामेश्वरनंद तत्कालीन भारतीय जनसंघ टिकट पर चुनाव लड़े इन्ही चुनावों में पंजाब केसरी के संपादक लाला जगत नारायण ने जालंधर छोड़कर नारायण गढ़ से चुनाव लड़ा, परन्तु उन्हें विधायक छात्रावास के एक चपरासी लाल सिंह ने हरा दिया
इसी प्रकार १९६२ हरियाणा की राजनीति में आये पत्रकारो के लिये वाटरलू सिद्व हुआ कई वर्षों तक अपने समाचार पत्र का संपादन करने वाली ओमप्रभा जैन कैथल से विजयी हुई इन चुनावों में कुरुक्षेत्र विश्वविघालय के कुलपति पद से त्यागपत्र देकर हरद्वारी लाल बहादुरगढ़ से विधानसभा चुनाव जीत गये बाद में हरिदारी लाल शर्मा ने अंग्रेजी तथा हिन्दी में दो अखबारों के सम्पादन किया १९६७ में भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के टिकट पर अपने स्वामित्व में निकलने वाले अखबार के संपादक शमशेर सिंह सुरजेवाला नरवाना से विजयी हुए, जो बाद में प्रदेश में भी मंत्री रहे तथा वर्तमान में भी कैथल से विधायक हैं सुरजेवाला तथा हरद्वारी लाल की लेखनी कला का उस समय कोई सानी नहीं था
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री तथा जाने माने हरिजन नेता चांद राम भी रोहतक से अखबार निकालते रहे हैं १९६७ में पहली बार करनाल जिला के इन्द्री विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले वेदवाल, जो बाद में घरौंडा विधानसभा क्षेत्र से विजयी होकर हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष बने, भी काफी समय तक करनाल से अपना पाक्षिक समाचार पत्र निकालते रहे है १९६७ में ही विधायक बनकर राव विरेन्द्र सिंह मंत्रीमंडल में मंत्री रहे जसवंत सिंह ने भी काफी समय तक अपना साप्ताहिक हिसार से निकाला आजीवन राष्टपति का चुनाव लड़ने वाले वकील चौधरी हरी राम ने रोहतक से अखबार निकाला हिसार से विधायक रहे गुलाब सिंह जैन, हालांकि पेशे से वकील थे, लेकिन वह लंबे समय तक हिसार अपना अखबार प्रकाशित करते रहे चौधरी हरी भजन लाल मंत्री मंडल के सदस्य भी रहे हैं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता तो मूलरुप से है, ही पत्रकार भिवानी से प्रकाशित दो हिन्दी साप्ताहिकों के संपादक रहे बाद में उन्होनें फरीदाबाद से हिन्दी दैनिक निकालने की योजना भी बनाई, मगर सफल नही हो सकी १९७१ में हरियाणा के फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से वीर अर्जुन व उर्दू प्रताप के सम्पादक के नरेन्द्र ने जनसंघ टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन जमानत नहीं बचा सके इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी तैयब हुसैन विजयी हुए जिन्होनें विशाल हरियाणा पार्टी के मंसूर अली खां पटौदी को पटकनी दी थी श्री पटौदी एक लंबे समय तक खेल पत्रिका 'स्पोटर्स वलर्ड' के सम्पादक रहे हैं मेवात के ही एक अन्य पाक्षिक अखबार निकालते रहे हैं खुर्शीद अहमद हरियाणा कांग्रेस पत्रिका के भी वर्षों तक संपादक रहे आर्य सभा ने हरियाणा में तीन सन्यासी नेता दिए, जिनमें इन्द्रवेश, अग्निवेश व स्वामी आदित्य वेश ये तीनों नेता भी मूलरुप से पत्रकार ही थे राजनीति में सफलता करने से पूर्व इन तीनों संयासियों ने रोहतक से हिन्दी दैनिक अखबार राजधर्म का प्रकाशन किया इस अखबार के साथ एक चौथे स्वामी ओमवेश भी जुड़ रहे जो बिजनौर से विधायक रह चुके हैं बाद में स्वामी इन्द्रवेश रोहतक से लोकसभा के सदस्य, अग्निवेश पुंडरी से विधायक, हरियाणा स्कूल बोर्ड के चेयरमैन तथा प्रदेश के शिक्षा मंत्री, स्वामी आदित्यवेश हथीन से विधायक व हरियाणा कृषि उघोग निगम के चेयरमैन रहे हैं एक अन्य आर्य समाजी नेता कपिल देव शास्त्री विभिन्न अखबारों के रिपोर्टर रहे हैं, भी १९८७ में लोकसभा सदस्य सोनीपत से चुने गये १९८२ में रोड़ी विधानसभा से विधायक बने जगदीश नेहरा को भी इसी कडी में पेशेवर पत्रकार माना जा सकता है नेहरा कई वर्षों तक नेशनल हैराल्ड, वीर प्रताप, स्टेटस मैन व इंडियन एक्सप्रैस से जुड़े रहे और मंत्री बनने उपरान्त भी लिखते रहे भाकपा के डा. हरनाम सिंह भी करनाल से प्रकाशित हरियाणा दर्पण के संपादक तथा जनयुग के संवादाता रहे नारायणगढ़ से विधायक रहे टिक्का जगजीत सिंह भी एक लंबे समय तक पाक्षिक अखबार का संपादन करते रहे साप्ताहिक तथा बाद में दैनिक रहे ऋषिवर्त के संपादक चन्द्र भान सैनी ने भी सफीदों विधानसभा से बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ा हरियाणा के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता रामविलास शर्मा ने भी अपना राजनैतिक जीवन जनसंघ के मुखपत्र मदरलैण्ड में बतौर प्रूफ लीडर शुरु किया बाद में एमरजैंसी दौरान यह अखबार बन्द हो गया करनाल से लोकसभा सदस्य रहे प. माधो राम शर्मा भी एक लंबे समय पानीपत से एक साप्तहिक का संपादन करते रहे हैं
पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के प्रैस सलाहकार राजीव जैन, भी पत्रकारिता में सक्रिय रहे इस प्रकार हरियाणा के राजनीतिज्ञों के पत्रकारिता से गंभीर संबंध रहे हैं यानि हरियाणा की राजनीति में पत्रकारों की भी अहम भूमिका है